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चुनाव तारीख: 1 जून 2024
1962 में मथुरापुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी। यहां पहली बार कांग्रेस के टिकट पर पुर्णेंदु शेखर नस्कर ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद 1967 में यहां से भाकपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। 1971 में यह सीट माकपा ने भाकपा से छीन ली और 1984 तक मथुरापुर लोस सीट पर अपना कब्जा जमाए रखा। यहां से लगातार मुकुंद राम मंडल जीत दर्ज करते रहे। 1984 में कांग्रेस ने यह सीट माकपा से छीन ली और लंबे अंतराल के बाद माकपा को हराकर कांग्रेस के मनोरंजन हल्दर ने जीत दर्ज की लेकिन 1989-91 में माकपा ने फिर से सीट कांग्रेस से छीन ली। तब से साल 2004-09 तक माकपा के ही कब्जे में यह सीट रही, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने 2009 के चुनाव में यह सीट माकपा से छीन ली। 2014 के चुनाव में तृणमूल के चौधरी मोहन जटुआ ने 6,27,761 वोट से दोबारा जीत दर्ज की। डेमोग्राफी, विधानसभा सीटें और मुद्दे यहां की जनसंख्या 22,16,787 है। यहां 94 फीसद ग्रामीण और छह फीसद शहरी मतदाता हैं। मतदाताओं की कुल संख्या 14,88,784 है। इनमें पुरुष मतदाता 7,72,279 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 7,16,505 है। यहां 20 मतदान केंद्र हैं। इस संसदीय क्षेत्र में पाथरप्रतिम, काकद्वीप, सागर, कुलपी, रायदीघी, मंदिरबाजार एससीऔर मगराहाट पश्चिम विधानसभा सीटें हैं। सागर में मूड़ी गंगा पर सेतु का निर्माण एक बड़ा व राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है, क्योंकि हर साल मकर संक्रांति पर गंगासागर जाने वाले लाखों तीर्थयात्रियों को सेतु न होने के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुलपी में बंदरगाह का निर्माण भी बड़ा मसला है। चूंकि अरब की एक कंपनी ने लंबे समय से फंसी इस परियोजना में हाथ लगाया है इसलिए तृणमूल इसका श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मथुरापुर की खास बातें मथुरापुर संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा निर्वाचन में यह सीट अस्तित्व में नहीं थी। 1962 में हुए चौथे लोकसभा चुनाव के लिए इस संसदीय क्षेत्र का गठन किया गया। इस लोकसभा क्षेत्र में काकद्वीप, सागर, कुलपी समेत सात विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। उत्तर 24 परगना जिले का हिस्सा यह इलाका बसीरहाट शहर का जनगणना क्षेत्र है। यहां के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में टेंपल ऑफ फेम, फ्लैग स्टाफ हाउस, गांधी घाट, मचरंगा द्वीप हैं।