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चुनाव तारीख: 13 मई 2024
कृष्णानगर की गिनती पश्चिम बंगाल के उन क्षेत्रों में होती है, जो अपने सांस्कृतिक पहचान के लिए जाने जाते हैं। नदिया जिले में आने वाला कृष्णानगर जलांगी नदी के किनारे बसा हुआ है। कहा जाता है कि राजा कृष्णचंद्र राय 1728-1782 के नाम पर इस शहर का नाम कृष्णानगर पड़ा था। कुछ का कहना है कि राजा कृष्ण चंद्र राय श्रीकृष्ण के भक्त थे और इसीलिए उन्होंने इसका नाम कृष्णानगर रखा था। यही वजह है कि ऐतिहासिक होने की वजह से कृष्णानगर पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता रहा है। सात विधानसभा सीट कृष्णानगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें तेहत्ता, पलासीपाड़ा, कालीगंज, नक्क्षीपारा, छपरा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवादीप शामिल हैं। डेमोग्राफी 87.34 फीसद आबादी गांवों में रहती है, जबकि 12.66 फीसद लोग शहरों में रहते हैं. कृष्णानगर की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमश: 22.57 और 1.69 प्रतिशत का है। यह क्षेत्र कृषि प्रधान है, जबकि कुछ घरेलू उद्योग भी यहां बीते सालों में काफी विकसित हुए हैं। विकास का हाल विकास संबंधी कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, जिनमें 86.41 फीसदी फंड का इस्तेमाल हो चुका है। क्षेत्र में विकास का हाल औसत है। स्थानीय मुद्दे यहां भाजपा और तृणमूल के साथ राजनीतिक संघर्ष हालिया दिनों में सुर्खियों में रहा है। रोजगार का अभाव और बुनियादी ढांचे का विकास अब भी यहां मुद्दा है। सांसद तापस पाल का विवादित बयान और चिटफंड प्रकरण यहां मुख्य चुनावी मुद्दे हैं। कृष्णानगर की खास बातें कृष्णानगर, पश्चिम बंगाल का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह बंगाल के नदिया जिला का मुख्यालय है। इस क्षेत्र की स्थापना 1864 में हुई थी। यह जलांगी नदी के ऊपर बसा है। नवद्वीप, इस्कान मन्दिर, शांतिपुर, प्लासी, शिवनिवास यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। कृष्णा गवर्नमेंट कॉलेज, कृष्णानगर कॉलेजिएट स्कूल, बिशोप मॉरो स्कूल यहां के प्रमुख शैक्षिक संस्थान हैं। दिल्ली से कृष्णानगर की दूरी 1,478 किलोमीटर है।