फेज: 7
चुनाव तारीख: 1 जून 2024
1977 के लोकसभा चुनाव से पहले जादवपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी। यह सीट एक समय माकपा का दुर्ग थी। 1977 और 1980 के लोकसभा चुनाव में माकपा के कद्दावर नेता सोमनाथ चटर्जी यहां से सांसद चुने गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था, लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सोमनाथ दा अपनी सीट बचाने में विफल रहे और कांग्रेस की तत्कालीन उम्मीदवार ममता बनर्जी ने 1984 में उन्हें हरा दिया। 1989 के चुनाव में एक बार फिर बाजी पलट गई और माकपा की मालिनी भट्टाचार्य ने कांग्रेस उम्मीदवार रही ममता बनर्जी को हरा दिया। 1996 में फिर एक बार हालात बदले और कांग्रेस की कृष्णा बोस यहां से सांसद चुनी गईं, जबकि माकपा की मालिनी भट्टाचार्य दूसरे स्थान पर रहीं। 1998 में भी कृष्णा बोस ने ही जीत दर्ज की, लेकिन इस बार उन्होंने तृणमूल के बैनर तले चुनाव लड़ा था। 2004 में एक बार फिर बाजी पलटी और लगातार जीत रहीं कृष्णा बोस को माकपा के सुजन चक्रवर्ती ने हरा दिया। 2009 आते-आते तृणमूल कांग्रेस काफी मजबूत हो चुकी थी और यहां से पार्टी के सुमन कबीर ने जीत दर्ज की, जबकि माकपा के सुजन चक्रवर्ती दूसरे स्थान पर रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में जादवपुर से तृणमूल के प्रोफेसर सुगत बसु ने जीत दर्ज की। सुगत बसु को 5,82,244 वोट मिले जबकि सुजन चक्रवर्ती को 4,59,041 वोट। वहीं भाजपा उम्मीदवार स्वरूप प्रसाद घोष को 1,55,511 वोट मिले। डेमोग्राफी और मुद्दे 2011 की जनगणना के अनुसार इस संसदीय क्षेत्र की जनसंख्या 22,73,479 है। इसमें 42.24 फीसद ग्रामीण आबादी है, जबकि 57.76 फीसद शहरी। अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां 24.5 और 0.48 फीसद हैं। 2017 की मतदाता सूची के अनुसार इस संसदीय क्षेत्र में 17,29,287 मतदाता हैं। 2014 के चुनावों में यहां 79.99 फीसद मतदान हुआ था जबकि 2009 में 81.47 फीसद मतदान हुआ। इस संसदीय क्षेत्र में शामिल सात विधानसभा सीटें बारुईपुर पूर्व एससी, बारुईपुर पश्चिम, सोनारपुर दक्षिण, जादवपुर, सोनारपुर उत्तर, टॉलीगंज और भांगड़ हैं। इस संसदीय क्षेत्र में चिटफंड घोटाला एक बड़ा मुद्दा है। यहां के लोग बड़ी संख्या में विभिन्न चिटफंड योजनाओं में निवेश कर अपने सारे रुपये खो चुके हैं। वर्तमान में जादवपुर से माकपा विधायक सुजन चक्रवर्ती हमेशा इस मसले पर मुखर रहते हैं। जादवपुर की खास बातें जादवपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। 1952 में पहले लोकसभा चुनावों में इस संसदीय सीट का अस्तित्व नहीं था। इसे देश के चौथे लोकसभा निर्वाचन के लिए 1967 में इस संसदीय सीट का गठन किया गया। यह इलाका दक्षिण 24 परगना जिले का हिस्सा है। इस क्षेत्र से ढाकुरिया, टालीगंज, सन्तोषपुर और गड़िया क्षेत्र से सटा है। इस इलाके का प्रमुख शैक्षिण संस्था जादवपुर विश्वविद्यालय है।