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चुनाव तारीख: 13 मई 2024
बंगाल का वीरभूम जिला भारत का प्राचीन क्षेत्र है, जहां कभी वीर राजाओं का शासन हुआ करता था, इसलिए इसका नाम वीरों की भूमि यानी वीरभूम पड़ा। वर्तमान में यह राज्य का एक बड़ा जिला है, जिसके अंतर्गत कई खूबसूरत शहर और नगर आते हैं। वीरभूम को लाल मिट्टी की भूमि भी कहा जाता है। बरसों से बंगाल की लोक संस्कृति और परंपराओं को संभाले ये जिला राज्य का प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी है। जिले में कई खूबसूरत प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। वीरभूम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत दुबराजपुर, सिउड़ी, सांइथिया, रामपुरहाट, हासन, नलहाटी और मुरारई विधानसभा क्षेत्र हैं। वीरभूम संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़कर माकपा ने कब्जा कर लिया था। वीरभूम लोकसभा सीट 1952 से 1971 तक चार लोकसभा चुनाव कांग्रेस के कब्जे में थी। इसके बाद 1971 के चुनाव में माकपा ने इस पर कब्जा जमा लिया था, जो 2009 तक 10 लोकसभा चुनाव उसके पास ही रही। माकपा के डॉ रामचंद्र डोम छह बार यहां से सांसद रहे। 2009 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने उक्त लोकसभा सीट माकपा से हथिया ली थी, जो अभी उसके पास है। वर्तमान में शताब्दी राय तृणमूल सांसद हैं। गत पांच वर्षों में वर्चस्व कायम करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी के चलते बमबाजी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। कांकरतला के तृणमूल ब्लाक अध्यक्ष दीपक घोष की हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा वर्ष 2014 में गोपालपुर गांव में तृणमूल और माकपा समर्थकों के बीच संघर्ष को रोकने गए दुबराजपुर थाने के सब इंस्पेक्टर अमित चक्रवर्ती की बम मारकर हत्या कर दी गई थी। विकास और मुद्दे माकपा के एकछत्र राज के चलते वीरभूम में विकास की गति कछुए की गति के समान थी, लेकिन 2009 से सभी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को तेज गति से चलाया गया। वीरभूम में शुरू से ही पत्थर के अवैध खदान और बालू खनन मुद्दा रहा है। राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अवैध खदान और खनन में बढ़ोतरी भी अहम समस्या है। बीरभूम की खास बातें बीरभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। इस लोकसभा क्षेत्र में दुबराजपुर, सूरी, सैंथिया, रामपुरहट, मुराराई समेत सात विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। इस संसदीय सीट से सबसे ज्यादा बार कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की है। इसी क्षेत्र को नोबेल विजेता रवींद्र नाथ टैगोर ने अपनी कर्मस्थली बनाया। शांतिनिकेतन की स्थापना उन्होंने यहीं पर की। बाद में उन्होंने विश्व्भारती विश्वीविद्यालय भी स्थापित किया। यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि टैगोर ने यहां कई कालजयी साहित्यिक कृतियों का सृजन किया। उनका घर ऐतिहासिक महत्व की इमारत है।