फेज: 5
चुनाव तारीख: 20 मई 2024
उलबेड़िया मूल रूप से औद्योगिक इलाका है। हालांकि यहां की एक बड़ी आबादी आजीविका के लिए खेती-बारी पर निर्भर है। 2006 में इंडोनेशिया के सलेम ग्रुप ने यहां मोटरसाइकिल फैक्ट्री लगाने के लिए 250 मिलियन डॉलर के निवेश का प्रस्ताव रखा था, हालांकि यह परियोजना मूर्त रूप नहीं ले पाई थी। रेल यातायात के लिए उलबेड़िया रेलवे स्टेशन सुगम है। बात अगर राजनीतिक गतिविधियों की करें तो इस सीट पर वाम दलों का एकछत्र राज रहा है। 1952 से 2009 के बीच वाम का यहां छह दशकों तक राज रहा है। माकपा के हन्नान मोल्ला लगातार चार दशकों तक यहां से सांसद चुने गए। 2004 में तृणमूल प्रत्याशी सुलतान अहमद ने माकपा के मन्नान की जीत की दौड़ को रोका था। इस जीत के साथ पहली बार यहां तृणमूल का खाता खुला। इसके बाद लगातार तीसरी बार तृणमूल का यहां कब्जा बरकरार है। विधानसभा सीटें, डेमोग्राफी और विकास इस संसदीय क्षेत्र के तहत कुल सात विधानसभा सीटें हैं। 2006 में इस क्षेत्र का परिसीमन कर उलबेडिय़ा पूर्व, उलबेड़िया उत्तर, उलबेड़िया दक्षिण, श्यामपुर, बागनान, आमता और उदयनाराणपुर विधानसभा क्षेत्रों को इसके तहत लाया गया। वर्तमान में यहां से तृणमूल की सजदा अहमद सांसद हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार इलाके में कुल मतदाता 14,48,632 हैं। इनमें महिलाएं 47.4 फीसद, और पुरुष 52.6 फीसद हैं। शिक्षा दर 80.03 फीसद है। लिंग का अनुपात 1000 पुरुषों पर 901 महिलाएं हैं। स्थानीय मुद्दे उलबेड़िया संसदीय क्षेत्र बीते कुछ वर्षों से राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है। इलाके में भाजपा के बढ़ते प्रभाव को लेकर आए दिन यहां राजनीतिक हमले की घटनाएं होती रहती हैं। तृणमूल और भाजपा के बीच प्राय: रार की स्थिति बनी रहती है। औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से इलाके में रोजगार की समस्या भी उभरी है। यहां के ज्यादातर युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख करते हैं। इस सीट के दक्षिण हिस्से से गंगा नदी बहती है। नदी का कटान व निकासी यहां की मौलिक समस्याओं में शुमार हैं।