1990 से लेकर 1998 तक दो बार उड़ीसा विधान सभा के सदस्य रहे। सुदरगढ़ से भाजपा जिला उपाध्यक्ष, ओडिशा से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव, ओडिशा राज्य में भाजपा अध्यक्ष रहे। वह पहली 1998 में लोक सभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1999 के चुनाव में जीतने के बाद वह केंद्र सरकार में आदिवासी मामलों के कैबिनेट मंत्री बने। वह राजभाषा समिति, उद्योग संबंधी स्थायी समिति और परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। इसके बाद वे एक बार फिर 2004 में सांसद बने। हालांकि उन्हें 2009 में हार का सामना करना पड़ा। 2014 में उन्होंने एक बार फिर से जीत हासिल की। उसके बाद 2019 में भी उन्हें सुदरगढ़ सीट पर सफलता मिली।
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