रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में पांच साल बाद एक बार फिर अंतागढ़ टेपकांड ने सियासी उबाल ला दिया है। शनिवार को कोर्ट दिए बयान में मंगतूराम पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, डॉ रमन सिंह, अमित जोगी और राजेश मूणत का नाम लिया था है।
इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके कहा कि इन सभी षड्यंत्रकारियों को राजनेता कहना ठीक नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने भी रमन, जोगी, मूणत और अमित को राजनीति छोड़ने की सलाह दी है। भाजपा ने मंतूराम के बयान को दंतेवाड़ा उपचुनाव से जोड़ा है। वहीं, जकांछ इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दबाव में दिया बयान बताया है।
झीरम कांड में भी रमन सरकार की थी भूमिका : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रभारी प्रदेश महामंत्री गिरिश देवांगन और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने रविवार को पत्रकार वार्ता लेकर कहा है कि मंतूराम के बयान से स्पष्ट हो गया है, झीरम कांड में भी रमन सरकार की भूमिका थी। उन्होंने कहा कि रमन को अपने दामाद डॉ. गुप्ता को वॉइस सैम्पल देने के लिए कहना चाहिए। जोगी और उनके पुत्र अमित को भी तत्काल अपना वॉइस सैम्पल देना चाहिए। सौदेबाजी के लिए मूणत के पास सात करोड़ कहां से आए, इसकी ईडी और आयकर विभाग जांच करे।
राजनीतिक षड्यंत्र : भाजपा
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि राजनीतिक षड्यंत्र के तहत मेरे नाम को उछाला गया है। दंतेवाड़ा उपचुनाव की वजह से कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत मंतूराम पर दबाव डालकर यह बयान दिलवाया है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि शपथपत्र की भाषा मंतूराम की नहीं है। सरकार के बुद्धिजीवियों द्वारा तैयार किया गया, तथ्यहीन और बेबुनियाद है।
अलग-अलग बयान देकर फंस गए मंतूराम: जकांछ
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी ने कहा कि मंतूराम ने धारा 164 के बयान के पूर्व एक याचिका उच्च न्यायालय बिलासपुर में लगाई है। इसमें अंतागढ़ प्रकरण को झूठा बताया है। पार्टी प्रवक्ता अशोक शर्मा ने कहा कि मंतूराम को मिले ज्ञान के पीछे सीडी वाले बाबा का हाथ स्पष्ट रूप से दिख रहा है।