रायपुर। Black Fungus: मुंह के तालू में छाले से भी ब्लैक फंगस हो सकता हैं। रायपुर डेंटल कॉलेज की ओपीडी में जांच के लिए आने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस के ऐसे गंभीर मामले सामने आ रहे हैं, जिससे डॉक्टर भी हैरान हैं। इसके साथ ही डेंटल कॉलेज समेत अन्य दांत के अस्पतालों में ब्लैक फंगस के संदेहियों की संख्या भी बढ़ी है।
डेंटर कॉलेज में ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पिनाक पानि ने बताया कि ओपीडी में रायपुर के 60 वर्षीय मरीज के तालू में सफेद छाले थे। जांच की गई तो कोरोना पाजिटिव और ब्लैक फंगस से संक्रमित निकले। इन्होंने कुछ दिन पहले एक निजी अस्पताल में दांतों की सर्जरी कराई थी। बाद तकलीफ बढ़ने पर वह पहुंचे थे।
वहीं, दूसरे मामले में बालोद जिले के दल्लीराजहरा के 30 वर्षीय युवक में ऐसे ही लक्षण दिखे। जांच में उनकी रिपोर्ट नहीं आई है। मरीज को आंबेडकर या एम्स में इलाज के लिए कहा गया। दोनों ही मामलों में मरीज को अनियंत्रित शुगर की समस्या थी।
पहले भी था ब्लैक फंगस लेकिन संख्या थी कम
चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना से पहले मधुमेह, चर्म रोग, एचआईवी, गुर्दे रोग, कैंसर, अंग प्रत्यारोपण के मरीजों में ब्लैक फंगस देखे जाते थे। मगर, इसकी संख्या काफी कम थी। वर्तमान में कोरोना मरीजों में घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता, मरीजों के इलाज में प्रयोग होने वाली स्टेरायड, टोसिलिजुमाब और कुछ आयरन जैसी दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल, गंदे ऑक्सीजन मास्क, गंदे पानी पीने से या उससे गरारे करना, मरीज के पास सडन पैदा करने वाली वस्तु जैसे बचा खाना, गंदगी इसके प्रमुख कारण हैं।
दांतों से पस आना, छाले होने पर कराएं जांच
डेंटल कॉलेज के ओरल एंड मैक्शिलोफेसियल सर्जरी के प्रोफेसर डॉ. बीजू पापाचन ने बताया कि कोराेना के दौरान गंदे कपड़ों के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता है। दांतों में पस भरना, ढीलापन, तालू में छाले बनना, सूजन आना, मुंह में किसी तरह के दाद ब्लैक फंगस हो सकते हैं। इसके अलवा सर और चेहरे में आंख के नीचे भारीपन, बुखार, नाक का लगातार बंद लगना, नाक से बदबूदार पानी या खून आना, चेहरे में सूजन आना, चेहरे की त्वचा का तनाव में रहना, लाल या काला पढ़ना, आंखों में लगातार दर्द होना, देखने में कमी आना, दोहरा दिखना, आंखों के लेवल में अन्तर आना ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं। लक्षण दिखने पर जांच जरूरी है।
बरती जा रही है सतर्कता
ओपीडी में छाले व ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीज सामने आते हैं। लक्षण देखकर जांच और इलाज के लिए आंबेडकर अस्पताल, एम्स में रेफर किया जा रहा है। लॉकडाउन खुलने के बाद डेंटल कॉलेज की ओपीडी भी काफी बढ़ गई है। पहले जहां अधिकतम 100 मरीज पहुंच रहे थे। अब संख्या 200 तक पहुंच गई है। ब्लैक फंगस को देखते हुए ओपीडी में सतर्कता बरती जा रही है।
- डा. पिनाक पानि, विभागाध्यक्ष, डेंटर कालेज में ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी