- सर्वे के लिए 41 करोड़ 54 लाख 38 हजार रूपये स्वीकृत किया।
जगदलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।
छत्तीसगढ़ की महत्वाकांक्षी परियोजना को केन्द्र सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद छत्तीसगढ़ शासन ने भी इस प्रोजेक्ट पर तेजी से निर्णय लेना शुरू कर दिया है। केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने के पांच दिन के भीतर ही 28 मई को राज्य शासन ने बोधघाट परियोजना के सर्वे के लिए प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी कर दिया। आदेश महानदी परियोजना के मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंच गया है। जिसके बाद सर्वे को लेकर प्रारंभिक तैयारियों से जुड़ी हलचल भी शुरू हो गई है।
विदित हो कि चार दशक से भी अधिक समय से अधर में लटकी यह अधूरी परियोजना दंतेवाड़ा जिले के गीदम विकासखंड के बारसूर से आठ किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी पर स्थित है। 21 जनवरी 1979 को परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। 1986-87 तक इस पर काम भी हुआ था लेकिन बाद में वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत केन्द्र सरकार की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण परियोजना को रोकना पड़ा था। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद परियोजना को दोबारा शुरू करने की कोशिश लगातार चल रही थी। दो अप्रैल को राज्य शासन ने परियोजना की मंजूरी के लिए नया प्रस्ताव तैयार कर केन्द्रीय जल आयोग को भेजा था जिसे केन्द्रीय जल आयोग ने स्वीकार करते कुछ दिन पहले 23 मई को ही सैद्धांतिक प्रदान की थी। इसके तुरंत बाद प्रदेश सरकार ने प्रशासकीय स्वीकृति भी जारी कर दी। सर्वे के लिए 41 करोड़ 54 लाख 38 हजार रूपये मंजूर किए गए हैं।
वाप्कोस करेगा सर्वे, आदेश आज- कल में
बताया जाता है कि परियोजना का सर्वे केन्द्र सरकार के उपक्रम वाप्कोस से कराने का प्रस्ताव छग शासन ने केन्द्र सरकार को दिया है। परियोजना के सर्वे को प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद माना जा रहा है कि जल्द ही सर्वे एजेंसी के रूप में वाप्कोस के लिए आदेश जारी हो जाएगा। परियोजना की लागत करीब 23 हजार करोड़ रूपये आंकी गई है। इसके बनने से बस्तर संभाग के साढ़े तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी तथा 300 मेगावॉट बिजली भी पैदा की जा सकेगी।