Bilaspur news: बिलासपुर। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के संबंध में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को एलएसपी के जरिए चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके लिए शासन को चार सप्ताह की मोहलत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश पर भी नोटिस जारी किया है। लिहाजा राज्य सरकार को स्थगन के लिए अलग से आवेदन भी पेश करना होगा। याचिकाकर्ता ने संवैधानिक व्यवस्था का सवाल उठाया है।
याचिकाकर्ता ने संवैधानिक व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि नियमों में संशोधन केवल विधानसभा द्वारा किया जा सकता है। विभाग की अधिसूचना या कैबिनेट भर्ती नियम 2019 में संशोधन नहीं कर सकती है। यह संशोधन राज्य और केंद्र के शिक्षा नियम के लक्ष्य और उद्देश्य के अनुरूप नहीं है। यह बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन है।
छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिक्षक भर्ती के लिए चार मई 2023 की अधिसूचना और विज्ञापन को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी। अधिसूचना को चुनौती देने का मुख्य आधार शिक्षक के संबंधित विषयवार पद के लिए आवश्यक विषयवार स्नातक की डिग्री का जिक्र नहीं करना है। अधिसूचना के अनुसार, संस्कृत में स्नातक उम्मीदवार किसी स्कूल में गणित पढ़ा सकता है। राज्य शासन द्वारा जारी अधिसूचना को इसी आधार पर भी चुनौती दी गई कि केवल विधायी संशोधन के माध्यम से 2019 के नियमों में आवश्यक संशोधन लाया जा सकता है। विभागीय अधिसूचना और केबिनेट नोट विधायी अधिनियम को खत्म नहीं कर सकते। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने संशोधन को चुनौती देने वाली रिट याचिका में कहा है कि यह वैध है क्योंकि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ता ने अधिवक्ता कौस्तुभ शुक्ला और अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुनौती दी है।
ये है चुनौती का आधार
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अधिसूचना और विज्ञापन प्रारंभिक वर्षों में राज्य में शिक्षा के मानक को कम कर रहे हैं। बाल शिक्षा जो बाल विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। शासन द्वारा बनाए गए मापदंड के अनुसार हिंदी या संस्कृत विषय में स्नातक चयनित शिक्षक गणित या विज्ञान विषय की पढ़ाई करा सकेंगे। इस तरह की व्यवस्था से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आएगी। यह अधिसूचना शिक्षा के अधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन है। याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया है।