इंदौर। कपास निर्यात के अग्रिम सौदे कम हो रहे हैं। वजह साफ है, घरेलू बाजार में कपास के भाव लगातार उंचे बने हुए हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम हैं।
अक्टूबर से शुरू कपास सीजन के लिए अब तक 2.5-3 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) निर्यात के सौदे हुए हैं, जबकि पिछले सीजन की शुरुआत होने से पहले ही 7-8 लाख गांठ निर्यात के सौदे हो चुके थे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपास करीब 77 सेंट प्रति पाउंड है, जबकि न्यूयार्क में दिसंबर वायदा भाव 60 सेंट प्रति पाउंड के आसपास है। दिसंबर तक के वायदे में दुनियाभर में सस्ता माल उपलब्ध होने की वजह से भारतीय कपास को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं।
घरेलू उत्पादक मंडियों में पिछले हफ्ते कपास के औसत भाव 3,750-3,850 रुपए प्रति मन (37.25 किलो) रहे। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म का कपास 41,500 रुपए बिका और नए कपास की कीमत 39,500 रुपए प्रति खंडी (356 किलो) रही।
आवक बढ़ने के आसार
उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में 20 हजार गांठ कपास से अधिक की आवक हो रही है। गुजरात में नई कपास की आवक तो शुरू हुई है, लेकिन उपलब्धता बेहतर मात्रा में चालू माह के दूसरे पखवाड़े से ही बढ़ेगी। जाहिर है, तब कपास की कीमतें दबाव में आ जाएंगी। हालांकि यह कॉटन कॉरपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) की खरीद पर भी निर्भर करेगा।
सीसीआई 10 गुना बढ़ाएगी खरीद
सीसीआई नए सीजन में कपास की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम भाव में खरीदना शुरू करेगी। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले सीजन में 100 लाख गांठ खरीद की योजना है, जबकि समाप्त हुए सीजन में इस एजेंसी ने एमएसपी पर केवल 10 लाख गांठ कपास की खरीद की थी।
उत्पादन बढ़ने का अनुमान
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 5,255 रुपए और लॉन्ग स्टेपल का 5,550 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। कृषि मंत्रालय के शुरुआती अनुमान के मुताबिक चालू खरीफ में कपास का उत्पादन बढ़कर 322.67 लाख गांठ तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 287.08 लाख गांठ हुआ था। उत्पादन बढ़ने की मुख्य वजह दूसरे और तीसरे तोड़ तक बेहतर नमी बने रहना है।
जानिये बाजार का हाल
77 सेंट प्रति पाउंड भारतीय कपास के मुकाबले न्यूयॉर्क में भाव 60 सेंट
- कपास का उत्पादन बढ़ने के अनुमान से भाव पर दबाव
- सीसीआई कई गुना खरीद बढ़ाकर कर सकता है सपोर्ट
- दिसंबर तक के वायदे में दुनियाभर में सस्ता माल उपलब्ध