Bhopal News: सभी बिच्छू नहीं होते जहरीले, उपयोग को लेकर जैव विविधता बोर्ड कर रहा शोध
कई बीमारियों के इलाज में काम आता है बिच्छुओं का जहर। दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण पर हुआ कार्यशाला का आयोजन।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sun, 22 Jan 2023 02:38:29 PM (IST)
Updated Date: Sun, 22 Jan 2023 02:38:29 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। बिच्छुओं के बारे में आमतौर पर ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। जानकारी न होने के कारण ही लोग इन्हें देखते ही मार देते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि कुछ अत्यधिक जहरीली प्रजातियों को छोड़कर ज्यादातर बिच्छू जहरीले नहीं होते हैं। इसके अलावा इनका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में होता है। बिच्छुओं से तैयार एक तेल का उपयोग आर्थराइटिस के इलाज में भी होता है। यह जानकारी बिच्छुओं के संरक्षण को लेकर काम कर रहे विज्ञानी सुधीर कुमार जेना ने शनिवार को अरेरा कालोनी स्थित एप्को सभागार में आयोजित एक कार्यशाला में दी। यह कार्यशाला संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण को लेकर आयोजित की गई। 'नेशनल कांफ्रेंस आन लेसर नोन स्पीशीज आफ मध्य प्रदेश' विषय पर आयोजित इस कार्यशाला में बिच्छुओं के अलावा ऐसी प्रजातियों के संरक्षण को लेकर विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। इनके बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन जंगलों के लगातार खत्म होने से वे संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल हो गई हैं। कार्यशाला का आयोजन एसएनएचसी, इंडिया द्वारा मप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड, भोपाल बर्ड्स एवं मप्र टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी के सहयोग से किया था।
एक घंटे तक प्रणय नृत्य करते हैं नर व मादा बिच्छू
इस अवसर पर जेना ने बताया कि नर एवं मादा बिच्छुओं की बनावट लगभग एक सी होती है। इस कारण उनकी पहचान करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने बताया कि नर बिच्छू और मादा मिलन से पूर्व लगभग एक से डेढ़ घंटे तक प्रणय नृत्य करते रहते हैं। इस दौरान नर बिच्छू अपने पद स्पर्शकों से मादा के पद स्पर्शकों को पकड़ लेता है। दोनों का मुख आमने-सामने होता है और पीछे का भाग ऊपर उठ जाता है। प्रणय से पूर्व नर बिच्छू पत्थर के नीचे बिल बनाता है, जिसमें दोनों धंस जाते हैं। प्रणय के बाद नर बिच्छू को अपनी जान गंवाना पड़ती है और मादा बिच्छू उसे खा जाती है। जेना ने बताया कि वर्तमान में बिच्छू संरक्षित प्रजातियों में शामिल नहीं है, लेकिन इनके महत्व को देखते हुए इनका संरक्षण किया जाना जरूरी है। इसी कारण वे जैव विविधता बोर्ड के साथ मिलकर बिच्छुओं पर विस्तृत शोध कर रहे हैं।
इन प्रजातियों पर हुई चर्चा
इसके पूर्व कार्यशाला के पहले दिन बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की परवीन शेख ने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में भारतीय स्कीमर के संरक्षण के कार्यों जानकारी दी। चंबल क्षेत्र में स्कीमर पर मंडरा रहे खतरे की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। संस्था के सहायक संचालक डा. सुरजीत नरवरे ने खरमोर पक्षी के संरक्षण की जानकारी दी। सलीम अली सेंटर फार ओर्निथोलाजी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. शौमिता मुखर्जी ने जंगली छोटी बिल्लियों पर किए जा रहे शोध की जानकारी दी। प्रफुल्ल चौधरी एवं सेवाराम मालिक द्वारा भारतीय भेड़िये व डेविड राजू द्वारा मप्र में पाए जाने वाले सरीसृप की जानकारी दी गई।